Tuesday, 26 December 2023

Dec 23

 ज़िंदगी बस यूंही हंसते नचाते जी लो ,

बैठ बचपन के यारो के साथ दो घूंट यादों के पी लो ।

ज़िंदगी एक यादों का सिलसिला है ,

खुश वोही है जो कभी न कभी बचपन के यारो से मिला है ।

यूंही मिलने के बहाने ढूंढ लिया करो ,

गमों के वार से फटे ज़िंदगी के अस्तर को दोस्ती के धागे से सिल लिया करो,

बहाना कुछ भी करके यारो 

साल में एक बार मिल लिया करो।

Thursday, 31 August 2023

Aug 2023

 इस हुस्न को यूं बरबाद न करो ।

इसका दीवाना कहीं बैठा दूर है।।

माना यह नस्वर है ।

पर तुम्हे क्या पता कितनी आंखों का नूर है।।

तुम्हे शायद फरक नहीं पड़ता हो।

पर शमा पर शहीद हुए परवानों के लिए जूठा ही सही थोड़ा रोलिया करो।

कई दीवाने होंगे आपके ।

आपने लिए न सही उन दीवानों का ही सोच कर थोड़ा सोलिया करो ।।



Yunhi baith baith soch Raha hoon ..

Ki kya soch Raha hoon,

Aksar aisey hi soch main dooba kuch bhi nahin soch pata hoon ,

Soch bhi sochti hogi kya soch hai meri ,

Jisko soch khud bhi soch nahi pati hogi...

Bus usi soch ki soch main Yun hi baithey baithey soch raha hoon



*उम्मीद और संतुष्टि का अजब रिश्ता है,*

*संतुष्टि के जिन्न को जगाने हर इंसान उम्मीद का चिराग खिसता है।*


मैं जानता हूं की मैं अकेला हूं ,

पर फिर भी क्यों लगाता है कि तुम हो ।

मैं जानता हूं कि तुम्हे नींद नहीं आती ,

फिर खुली आंखों से किसके ख्यालों में गुम हो।

जियो अपनी ज़िंदगी अपने ढंग से ,किसी और के बताने से नहीं ।

हमेशा याद रखना ज़माना तुमसे है , तुम ज़माने से नहीं।

मुख मोड़ दो तुम लहरों का जो अपनी अड़ी पे चढ़ जाओ,

तुम्हें किसी और की जरूरत ही नहीं , तुम अकेले ही सब पर भरी पड़ जायो।

अपने आप को पहचानो और ध्यान से देखो उस आईने में ,

खुदा ने जो नायाब तोहफा दिया इस दुनिया को वो तुम हो।

मैं जानता हूं कि तुम्हे नींद नहीं आती ,

फिर खुली आंखों से किसके ख्यालों में गुम हो।



चुपके से निकले पत्तों का आनंद लो,

क्यों ख्वाहिशों के द्रख्तों में पतझड़ ढूंढते हो।

यहां जिंदे भी हिलकर राजी नहीं 

और तुम मुर्दों मैं हलचल ढूंढते हो ।







Friday, 6 January 2023

July 2022

 मैं और मेरे आंसू , बस हमारा ही किस्सा है।

अकेले अंधेरे किसी कोने में , जाने डर किसका है।

मां के आंचल में रो न सका,उसकी आंखे नम न हो जाए बस डर इसका है।

प्यार को कभी मैं समझ न पाया , न कभी प्यार ने मुझे समझा

हम दोनो मैं अजीब सा एक रिश्ता है।




मेरी दिल की धड़कन ने मेरे ही घर में मेरे खुदा को रुलाया।

दिल से  खफा भी नहीं हो सकता ,की मेरे खुदा ने यह वचन लिवाया।

अजीब से मुकाम पर हूं ,की प्यार आता भी है तो गम की चादर ओढ़कर। 

बड़ा दुखदाई मंजर है जिसने रख दिया मुझे तोड़कर ।

एक जिंदगी है तो दूसरा बंदगी, किस और जाऊं इसी कसमकस में हूं।

दिल तोड़ू या खुदा को छोडूं ,कैसे दिल को खुदा से जोडूं,

कोई तो राह दिखाए बड़ी असमंजस हूं ।


चाय सिर्फ चाय नहीं एक बहाना है।

जिसकी आड़ में दोस्तों के संग वक्त गुजारना है।।

यह गवाह है कई रिश्तों के टूटने और जुड़ने की ।

यह गवाह है कई ख्वायों के गिरने या उड़ने की ।।

जनाब यह चाय सिर्फ चाय नहीं 

एक इतिहास की राजदार भी है ।

किसी को इससे नफरत भी है और किसको इससे प्यार भी है ।।