मैं और मेरे आंसू , बस हमारा ही किस्सा है।
अकेले अंधेरे किसी कोने में , जाने डर किसका है।
मां के आंचल में रो न सका,उसकी आंखे नम न हो जाए बस डर इसका है।
प्यार को कभी मैं समझ न पाया , न कभी प्यार ने मुझे समझा
हम दोनो मैं अजीब सा एक रिश्ता है।
मेरी दिल की धड़कन ने मेरे ही घर में मेरे खुदा को रुलाया।
दिल से खफा भी नहीं हो सकता ,की मेरे खुदा ने यह वचन लिवाया।
अजीब से मुकाम पर हूं ,की प्यार आता भी है तो गम की चादर ओढ़कर।
बड़ा दुखदाई मंजर है जिसने रख दिया मुझे तोड़कर ।
एक जिंदगी है तो दूसरा बंदगी, किस और जाऊं इसी कसमकस में हूं।
दिल तोड़ू या खुदा को छोडूं ,कैसे दिल को खुदा से जोडूं,
कोई तो राह दिखाए बड़ी असमंजस हूं ।
चाय सिर्फ चाय नहीं एक बहाना है।
जिसकी आड़ में दोस्तों के संग वक्त गुजारना है।।
यह गवाह है कई रिश्तों के टूटने और जुड़ने की ।
यह गवाह है कई ख्वायों के गिरने या उड़ने की ।।
जनाब यह चाय सिर्फ चाय नहीं
एक इतिहास की राजदार भी है ।
किसी को इससे नफरत भी है और किसको इससे प्यार भी है ।।
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