ज़िंदगी बस यूंही हंसते नचाते जी लो ,
बैठ बचपन के यारो के साथ दो घूंट यादों के पी लो ।
ज़िंदगी एक यादों का सिलसिला है ,
खुश वोही है जो कभी न कभी बचपन के यारो से मिला है ।
यूंही मिलने के बहाने ढूंढ लिया करो ,
गमों के वार से फटे ज़िंदगी के अस्तर को दोस्ती के धागे से सिल लिया करो,
बहाना कुछ भी करके यारो
साल में एक बार मिल लिया करो।
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