Tuesday, 23 July 2019

July19

 कोई पराया अपना सा लगने लगा है,
आंखों में इक हसीन सपना सा सजने लगा है,
हर वक़्त मुस्कुराने लगा हूं मैं
अजीब  गुदगुदा सा मंजर अब खयालों में बसने लगा है।


कौन कहता है मंज़िल दूर है
हमने आंख बंद कर के खुदा को पास पाया है।

तुझसे मिलकर जीवन एक सपना सा लगाने लगा है,
जाने क्या एहसास है कि कोई बेगाना अपना सा लगने लगा है

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