तेरे रसीले होंठों को देखूं ,या तेरे नशीले नयनों को।।
जिसको भी देखूं मदहोश हो जाता हूं।।
तुझसे मुहब्बत जबसे हुई ,चाह कर भी होश नहीं मुझे ,
बस तेरी ही यादाओं में डूबा खुद को पाता हूं।।
कभी तूफान कभी सन्नाटा ,
अजब है मेरे यारों की महफ़िल
कभी दिल खोल कर ठहाके,
तो कभी खामोशियों से भरी दरायों सी मंज़िल।।
Paraya kar diya ek din mein ...
Jo kal tak humraaz hone ki baatein kar rahe the...
Humney ek pal ki mulakat mein sabkuch kah diya..
Aur ek woh hain ki bewajah dar rahe the...
कुछ तो है तेरी मुस्कान में जो दिल थम जाता है,
खुदा ने बड़े इत्मीनान से यह काम किया होगा
कुदरत के कई खूबसूरत नायाब टोफों में एक तेरी हंसी है
खुदा ने शायद इसे बना कर वह सांचा ही तोड़ दिया होगा।
शुक्रगुजार हूं इस ज़िन्दगी का ,की तू मेरा हमसफ़र है।
तू मेरी हंसी ,तू मेरा चैन,तू मेरा जनेजीगर है।
तुझ बिन तन्हा हूं ,तेरे दामन में मेरा जहां है।
कहने को मस्त मौला हूं, पर तू जहां मस्तानापन मेरा वहां है।
तू है तो मेरा वजूद है नहीं तो अमृत भी मेरा जहर है ।
शुक्रगुजार हूं इस ज़िन्दगी का ,की तू मेरा हमसफ़र है
तुम गुलाबो पर पड़ीं सुबह की शबनम ,या कोई पाक आयत हो।
मेरी ज़िंदगी रब्बानी हो गई जिससे तुम खुदा की वो इनायत हो।
शुक्रगुजार मैं उस नूर -ए -इलाही का , की उसकी नजरें करम से तुम मिले ,
और ख़तम हुई जैसे खुदा से कोई पुरानी अदावत हो।
मेरी ज़िंदगी रब्बानी हो गई जिससे तुम खुदा की वो इनायत हो।
जिसको भी देखूं मदहोश हो जाता हूं।।
तुझसे मुहब्बत जबसे हुई ,चाह कर भी होश नहीं मुझे ,
बस तेरी ही यादाओं में डूबा खुद को पाता हूं।।
कभी तूफान कभी सन्नाटा ,
अजब है मेरे यारों की महफ़िल
कभी दिल खोल कर ठहाके,
तो कभी खामोशियों से भरी दरायों सी मंज़िल।।
Paraya kar diya ek din mein ...
Jo kal tak humraaz hone ki baatein kar rahe the...
Humney ek pal ki mulakat mein sabkuch kah diya..
Aur ek woh hain ki bewajah dar rahe the...
कुछ तो है तेरी मुस्कान में जो दिल थम जाता है,
खुदा ने बड़े इत्मीनान से यह काम किया होगा
कुदरत के कई खूबसूरत नायाब टोफों में एक तेरी हंसी है
खुदा ने शायद इसे बना कर वह सांचा ही तोड़ दिया होगा।
शुक्रगुजार हूं इस ज़िन्दगी का ,की तू मेरा हमसफ़र है।
तू मेरी हंसी ,तू मेरा चैन,तू मेरा जनेजीगर है।
तुझ बिन तन्हा हूं ,तेरे दामन में मेरा जहां है।
कहने को मस्त मौला हूं, पर तू जहां मस्तानापन मेरा वहां है।
तू है तो मेरा वजूद है नहीं तो अमृत भी मेरा जहर है ।
शुक्रगुजार हूं इस ज़िन्दगी का ,की तू मेरा हमसफ़र है
तुम गुलाबो पर पड़ीं सुबह की शबनम ,या कोई पाक आयत हो।
मेरी ज़िंदगी रब्बानी हो गई जिससे तुम खुदा की वो इनायत हो।
शुक्रगुजार मैं उस नूर -ए -इलाही का , की उसकी नजरें करम से तुम मिले ,
और ख़तम हुई जैसे खुदा से कोई पुरानी अदावत हो।
मेरी ज़िंदगी रब्बानी हो गई जिससे तुम खुदा की वो इनायत हो।
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