थोड़ी मस्ती थोड़ी बात,
यूंही कट जय यह सर्द रात!
तेरा यूं हिचकिचाना,
कर रहा है भवारे को दीवाना !
कुछ गुफ्तगू कर के यह रात फिर ना आयेगी,
गर सोचती रहोगी यूंही तो ,
ज़िन्दगी गुजार जाएगी।