दोस्तों से ही चहरे पर हंसी ,उनसे ही आंखों में नमी ,
दोस्तों से ही अकेलापन ,उनसे ही होती पूरी हर कमी ,
दोस्तों से ही रंग मेरी होली में ,उनसे ही उजाला मेरी दीवाली का,
दोस्तों से ही सुर मेरे गीतों में ,उनसे ही हर शेर मेरी कवाली का,
दोस्तों से ही नाराज़गी मेरी ,उनसे ही हर राज मेरा ,
दोस्तों से ही रंगीन मेरी ज़िन्दगी की महफ़िल , उनसे ही सफल हर काज मेरा ,
बस यही खयाल आता है जागते सोते
कैसी होती ज़िन्दगी गर दोस्त न होते।
ज़िन्दगी में गम यूंही कम नहीं
फिर क्यूं ढूंढ़ते हो दोस्ती में भी रिश्ते तनाव के,
आज जो है उसमे मसरूर रहो मेरे दोस्तों
क्यों और की चाहत में गवाते हो ये लम्हे प्यार के
फ़िक्र में तेरी कोई दुनिया भूल गया ,
और तुम हो कि दुनियादारी में ही उलझी हो ।
तुम्हारे बिन हमें ये जिन्दगी अच्छी नहीं लगती,
सनम तेरी निगाहों की नमी अच्छी नही लगती,
मुझे हासिल हुई दुनियां की दौलत और ये शोहरत
,मिला सब कुछ मगर तेरी कमी अच्छी नहीं लगती
आजा तुझे मैं प्यार करूं
तेरी जुल्फों से खेलूं
और अपने जस्बाताओं का इकरार करूं ।
आज जो पल है ,कल हो ना हो
आजा इस एक पल में तैयार तेरे लिए एक संसार करूं
काश बिछड़ पाता तेरी यादों से... तुझसे बिछड़ने के बाद
सुना है कि कब्र में भी साथ जाता है यादों का सिलसिला
यूं रूठा ना करो तुम हमसे
इस नाज़ुक दिल का लिहाज करो
हम तो यूंही घायल है तेरी निगाहों से
बेवजह खंजर को न इस्तेमाल करो
आपका होना बड़ा खुशगवार हमें ,
आप थे तो कोई खलिश ना थी,
आपके वजूद का हमारी जिंदगी में हम एहतराम करते हैं,
शायद इसलिए लिए आज अलविदा कहने से डरते हैं,
पर वक़्त का दस्तूर है ,जो आज पास कल वही दूर है,
आंखों से ओझल हो जाएंगे आप हमारी ,
पर रहगुजर में आपका बसेरा रहेगा ,
दिल में खला ,और आंखें नम होंगी हर उसकी ,
जो आज आपको अलविदा कहेगा।
उनकी खुशी की खातिर हमने मायूसी को भी गले लगा लिया ,
हमसफ़र क्या बने वह हमारे हमने सारे जहां से मुंह फिरा लिया,
उन्हें खबर भी नहीं उनकी हसी के लिए हमने क्या क्या सहा,
और आज लगते हैं इलज़ाम हमपर वो , जिन्होंने हमें अलविदा कहा ।
गर इश्क़ है तो निजात क्यूं
दर्द और दवा की बात क्यूं
दिल लगाया जो, खलीश तो होगी
ढूंडे बिना ख्याबों के अब रात क्यूं।
दोस्तों से ही अकेलापन ,उनसे ही होती पूरी हर कमी ,
दोस्तों से ही रंग मेरी होली में ,उनसे ही उजाला मेरी दीवाली का,
दोस्तों से ही सुर मेरे गीतों में ,उनसे ही हर शेर मेरी कवाली का,
दोस्तों से ही नाराज़गी मेरी ,उनसे ही हर राज मेरा ,
दोस्तों से ही रंगीन मेरी ज़िन्दगी की महफ़िल , उनसे ही सफल हर काज मेरा ,
बस यही खयाल आता है जागते सोते
कैसी होती ज़िन्दगी गर दोस्त न होते।
ज़िन्दगी में गम यूंही कम नहीं
फिर क्यूं ढूंढ़ते हो दोस्ती में भी रिश्ते तनाव के,
आज जो है उसमे मसरूर रहो मेरे दोस्तों
क्यों और की चाहत में गवाते हो ये लम्हे प्यार के
फ़िक्र में तेरी कोई दुनिया भूल गया ,
और तुम हो कि दुनियादारी में ही उलझी हो ।
तुम्हारे बिन हमें ये जिन्दगी अच्छी नहीं लगती,
सनम तेरी निगाहों की नमी अच्छी नही लगती,
मुझे हासिल हुई दुनियां की दौलत और ये शोहरत
,मिला सब कुछ मगर तेरी कमी अच्छी नहीं लगती
आजा तुझे मैं प्यार करूं
तेरी जुल्फों से खेलूं
और अपने जस्बाताओं का इकरार करूं ।
आज जो पल है ,कल हो ना हो
आजा इस एक पल में तैयार तेरे लिए एक संसार करूं
काश बिछड़ पाता तेरी यादों से... तुझसे बिछड़ने के बाद
सुना है कि कब्र में भी साथ जाता है यादों का सिलसिला
यूं रूठा ना करो तुम हमसे
इस नाज़ुक दिल का लिहाज करो
हम तो यूंही घायल है तेरी निगाहों से
बेवजह खंजर को न इस्तेमाल करो
आपका होना बड़ा खुशगवार हमें ,
आप थे तो कोई खलिश ना थी,
आपके वजूद का हमारी जिंदगी में हम एहतराम करते हैं,
शायद इसलिए लिए आज अलविदा कहने से डरते हैं,
पर वक़्त का दस्तूर है ,जो आज पास कल वही दूर है,
आंखों से ओझल हो जाएंगे आप हमारी ,
पर रहगुजर में आपका बसेरा रहेगा ,
दिल में खला ,और आंखें नम होंगी हर उसकी ,
जो आज आपको अलविदा कहेगा।
उनकी खुशी की खातिर हमने मायूसी को भी गले लगा लिया ,
हमसफ़र क्या बने वह हमारे हमने सारे जहां से मुंह फिरा लिया,
उन्हें खबर भी नहीं उनकी हसी के लिए हमने क्या क्या सहा,
और आज लगते हैं इलज़ाम हमपर वो , जिन्होंने हमें अलविदा कहा ।
गर इश्क़ है तो निजात क्यूं
दर्द और दवा की बात क्यूं
दिल लगाया जो, खलीश तो होगी
ढूंडे बिना ख्याबों के अब रात क्यूं।